हिंदी-विभाग की स्थापना सन् 1961 में हुई थी, वर्तमान में विभाग में मास्टर ऑफ ऑर्टस के स्तर पर दो वर्षीय पाठ्यक्रम एम.ए. (हिंदी) एवं शोध के लिए डॉक्टर ऑफ फिलोसफी (पीएच.डी.) पाठ्यक्रमों को चला रहा है। हरियाणा सरकार के आदेशानुसार विभाग में ‘गुरु रविदास पीठ’ स्थापित किया है। वर्ष 1972 से हिंदी शोध और समीक्षा की अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रिका ‘सम्भावना’ के 24 अंक प्रकाशित हो चुके हैं। एम.ए. (हिंदी) में छात्रों के लिए 60 सीटें एवं पीएच.डी. में 30 शोधार्थी हैं इन में से 15 शोधार्थी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग- एस.आर.एफ एवं जे.आर.एफ के रूप में पंजीकृत हैं।
सत्र 2020-21 से स्नातकोत्तर व स्नात्तक स्तरीय कोर्सों में सी. बी. सी. एस. चयन-आधारित क्रेडिट पद्धति)/एल.ओ.सी.एफ. एवं मैपिंग मैट्रिक्स स्कीम के तहत् नये पाठ्यक्रमों को लागू किया है।
पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों और शोधार्थियों से भाषा के सामान्य सिद्धांतों व हिंदी भाषा के व्यावहारिक प्रयोग से साहित्य संसार व वास्तविक संसार के यथार्थ के प्रति आलोचनात्मक, संवेदनशील दृष्टि व व्यक्तित्व का विकास, हिंदी साहित्य की विभिन्न धाराओं व परंपराओं की समझ, विभिन्न युगों की साहित्यिक धाराओं व रचनाकारों के साहित्य की विशिष्टताओं की समझ, समकालीन साहित्य के विविध, आंदोलनों व विमर्शों के माध्यम से अपने युग का बोध, साहित्य की विभिन्न विधाओं तथा जनसंचार के माध्यमों के लिए रचनात्मक लेखन की क्षमता में अभिवृद्धि होगी।
जीवनयापन के लिए भाषायी कौशल, कंप्यूटर, अनुवाद, पत्रकारिता, जनसंचार, रंगमंच, चलचित्र आदि के बारे में सैद्धांतिक व व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त होगा।
भारतीय समाज और सांस्कृतिक जीवन के विभिन्न पक्षों में अन्तर्निहित एकता के तत्त्वों का परिचय व पहचान होगी जिससे देश व समाज की एकता-अंखडता की भावना का विकास तथा साहित्य के माध्यम से मानवता के सार्वभौम तत्त्वों की पहचान होगी।
इन पाठ्यक्रमों में राजभाषा प्रशिक्षण, प्रयोजनमूलक हिंदी, भारतीय साहित्य, लोक साहित्य, जनसंचार एवं पत्रकारिता, अनुवाद जैसे व्यावहारिक एवं बहु उपयोगी विषय हैं। वहीं दूसरी ओर मध्यकालीन और आधुनिक साहित्य के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जिसके माध्यम से मनोविश्लेषणात्मक, मनोवैज्ञानिक, समाजशास्त्रीय, ऐतिहासिक, दार्शनिक और तुलनात्मक शोध करवाया जाता है।
विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के चहुमुखी विकास एवं व्यक्तिव निर्माण के लिए विभाग में समय-समय पर विशेष व्याख्यान, समीक्षा संगोष्ठी -अपने लेखक से मिलिए, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठीयों आदि कार्यक्रमों को आयोजन करता रहता हैं, जिस में विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों सक्रिय योगदान लेते हैं।
VISION
विद्यार्थियों और शोधार्थियों में भारतीय समाज और सांस्कृतिक जीवन के विभिन्न पक्षों में अन्तर्निहित एकता के तत्त्वों का परिचय व पहचान देश व समाज की एकता-अंखडता की भावना का विकास तथा साहित्य के माध्यम से मानवता के सार्वभौम तत्त्वों की पहचान । संसार के यथार्थ के प्रति आलोचनात्मक, संवेदनशील व्यक्तित्व का विकास, हिंदी साहित्य की विभिन्न युगों की विभिन्न साहित्यिक धाराओं व परंपराओं की समझ के साथ समकालीन साहित्य के विविध आंदोलनों व विमर्शों के माध्यम से अपने युग का बोध व रचनात्मक लेखन की क्षमता में अभिवृद्धि ।
MISSION
विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के चहुमुखी विकास एवं व्यक्तिव निर्माण के लिए विशेष व्याख्यान, समीक्षा संगोष्ठी -अपने लेखक से मिलिए, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठीयों आदि कार्यक्रमों मध्यकालीन और आधुनिक साहित्य के माध्यम से मनोविश्लेषणात्मक, मनोवैज्ञानिक, समाजशास्त्रीय, ऐतिहासिक, दार्शनिक और तुलनात्मक शोध । भारतीय साहित्य, लोक साहित्य, जनसंचार एवं पत्रकारिता, राजभाषा प्रशिक्षण, प्रयोजनमूलक हिंदी, अनुवाद आदि व्यावहारिक एवं बहु उपयोगी विषयों के अध्ययन से रचनात्मक व प्रतिभा की अभिव्यक्ति ।
ACADEMIC ACHIEVEMENTS
व्यावसायिक आचार-संहिता, लैंगिक संवेदनशीलता, मानवीय मूल्य, पर्यावरण और सतत् स्थायित्व मानव समाज की प्रगति व विकास के लिए विद्यार्थी को आत्मविस्तार के अवसर और मानव जाति के उत्थान व विकास में अपना व्यक्तिगत योगदान देने के लिए खुद को तैयार करने में सक्षम। दलित विमर्श, स्त्री-विमर्श, आदिवासी विमर्श, आत्मकथा, जीवनी, और संस्मरणों के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों के जीवन के अनुभवों से दृष्टि विस्तार के साथ समानता, शांति, सामाजिक न्याय और भाईचारे की भावना का विकास। प्रकृति, पर्यावरण और मानव जीवन के अस्तित्व के प्रति चिंता व प्रकृति के सौंदर्य की आनंदमयी प्रक्रियाओं को समझ
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